भारत में करोड़ों मजदूर असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं जहां उन्हें रोजगार की स्थिरता नहीं मिलती। निर्माण कार्य, कृषि मजदूरी, घरेलू सेवा और अन्य अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले इन श्रमिकों के पास न तो नियमित आय होती है और न ही किसी आपातकालीन परिस्थिति में सरकारी सहारा। इन्हीं कठिनाइयों को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर श्रमिक पहचान पत्र कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्ड श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत राज्य श्रम विभागों द्वारा जारी किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के कामगारों को एक पहचान देना और उन्हें सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ना है।
प्रमुख लाभ और सुविधाएं
श्रमिक कार्ड धारकों को अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। सबसे महत्वपूर्ण लाभ है आर्थिक सहायता जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है। इसके अलावा पंजीकृत श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों को निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलता है। आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध रहती है।
श्रमिकों के बच्चों की शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति योजना भी संचालित की जाती है जिसमें कक्षा एक से लेकर उच्च शिक्षा तक सालाना एक हजार से पच्चीस हजार रुपये तक की आर्थिक सहायता मिलती है। साठ वर्ष से अधिक आयु के पात्र श्रमिकों को मासिक पेंशन की व्यवस्था की गई है। जिन मजदूरों के पास स्वयं का आवास नहीं है उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत विशेष सहायता प्रदान की जाती है। महिला श्रमिकों के लिए मातृत्व लाभ और विवाह सहायता भी योजना के महत्वपूर्ण अंग हैं।
पात्रता की शर्तें
इस कल्याणकारी योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ निर्धारित मापदंड तय किए गए हैं। आवेदक की आयु अठारह वर्ष से साठ वर्ष के मध्य होनी अनिवार्य है। केवल वही व्यक्ति पात्र माने जाएंगे जो असंगठित क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। इसमें भवन निर्माण मजदूर, कृषि श्रमिक, घरेलू कामगार, रिक्शा चालक, सफाई कर्मचारी और अन्य दिहाड़ी मजदूर शामिल हैं।
आवेदक का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है और उसके पास अपने राज्य का स्थायी निवास प्रमाण होना चाहिए। आवेदक का राज्य के श्रम कल्याण विभाग में पंजीकरण अनिवार्य है। जो व्यक्ति ईपीएफओ, ईएसआईसी या एनपीएस जैसी संगठित योजनाओं के सदस्य हैं या आयकर भरते हैं वे इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं।
आवश्यक दस्तावेज
योजना में आवेदन करते समय कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जरूरत होती है। पहचान के लिए आधार कार्ड अनिवार्य है जो मोबाइल नंबर से जुड़ा होना चाहिए। बैंक खाते की पासबुक या खाता विवरण भी आवश्यक है क्योंकि सहायता राशि सीधे इसी खाते में भेजी जाएगी। हाल ही में खींचे गए पासपोर्ट साइज फोटो और निवास प्रमाण पत्र जैसे राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र की प्रति जमा करनी होगी।
सबसे महत्वपूर्ण है श्रमिक होने का प्रमाण जो ठेकेदार से प्राप्त प्रमाण पत्र, मजदूरी रसीद या कार्य स्थल से मिला कोई अन्य दस्तावेज हो सकता है। कुछ राज्यों में आय प्रमाण पत्र भी मांगा जाता है जिसमें परिवार की कुल मासिक आय दस हजार रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। सभी दस्तावेजों की स्पष्ट स्कैन कॉपी तैयार रखना उचित रहता है।
ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया
सरकार ने आवेदन प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बना दिया है जिससे पारदर्शिता बनी रहे। सबसे पहले आवेदक को अपने राज्य के श्रम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा। प्रत्येक राज्य की अलग वेबसाइट होती है जैसे महाराष्ट्र के लिए महाराष्ट्र बिल्डिंग वेलफेयर बोर्ड की वेबसाइट और बिहार के लिए बीओसीडब्ल्यू बिहार पोर्टल। वेबसाइट के मुख्य पृष्ठ पर नया श्रमिक पंजीकरण या लेबर कार्ड रजिस्ट्रेशन का विकल्प मिलेगा।
इस विकल्प पर क्लिक करने के बाद पहले आधार सत्यापन होगा। आधार संख्या दर्ज करने पर रजिस्टर्ड मोबाइल पर ओटीपी आएगा जिसे सत्यापित करना होगा। इसके बाद एक विस्तृत पंजीकरण फॉर्म खुलेगा। यहां सभी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, पूरा पता, जिला, कार्य का प्रकार, बैंक विवरण और मोबाइल नंबर सावधानीपूर्वक भरें। इसके बाद सभी आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन कॉपी निर्धारित प्रारूप में अपलोड करें।
फॉर्म भरने के बाद एक बार पुनः सभी विवरणों की जांच कर लें और फिर आवेदन शुल्क का भुगतान करें। अधिकांश राज्यों में यह शुल्क लगभग पचास रुपये होता है। भुगतान के बाद फॉर्म सबमिट करें। सबमिशन के बाद एक विशिष्ट आवेदन संख्या प्राप्त होगी जिसे सुरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है।
आवेदन स्थिति की जांच
पंजीकरण के बाद आवेदन की स्थिति ऑनलाइन देखी जा सकती है। इसके लिए श्रम विभाग की वेबसाइट पर आवेदन स्थिति देखें या नो योर लेबर रजिस्ट्रेशन स्टेटस पर क्लिक करें। यहां आधार संख्या, आवेदन संख्या या पंजीकरण संख्या दर्ज करके स्थिति जांची जा सकती है। विभाग द्वारा दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा जिसमें आमतौर पर दो से चार सप्ताह का समय लगता है।
सत्यापन सफल होने पर आवेदक का नाम लाभार्थी सूची में शामिल कर लिया जाएगा। कुछ राज्यों में लेबर कार्ड ऑनलाइन डाउनलोड किया जा सकता है जबकि कुछ जगहों पर जिला श्रम कार्यालय से भौतिक कार्ड प्राप्त करना होता है। कार्ड प्राप्त होने के बाद विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
कार्ड का नवीनीकरण और रखरखाव
श्रमिक कार्ड की वैधता आमतौर पर एक से पांच वर्ष तक होती है। समय पर नवीनीकरण करवाना अत्यंत आवश्यक है अन्यथा योजना का लाभ रुक सकता है। नवीनीकरण के लिए राज्य की श्रम विभाग वेबसाइट पर जाकर कंस्ट्रक्शन वर्कर ऑनलाइन रिन्यूअल के विकल्प पर क्लिक करें। मौजूदा पंजीकरण संख्या दर्ज करें और ओटीपी से सत्यापित करें। आवश्यक शुल्क का भुगतान करके नवीनीकरण आवेदन जमा करें। स्वीकृति के बाद नया कार्ड जारी कर दिया जाएगा।
महत्वपूर्ण सावधानियां
आवेदन और पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया में किसी भी दलाल या बिचौलिये को कोई भुगतान न करें। यदि कोई व्यक्ति पैसे मांगता है तो तुरंत स्थानीय श्रम विभाग में शिकायत दर्ज करें। सभी जानकारी सरकारी वेबसाइट पर निःशुल्क उपलब्ध है। पंजीकरण शुल्क केवल पचास रुपये है जो सीधे सरकारी पोर्टल पर जमा होता है।
हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करने के लिए ई-श्रम पोर्टल का टोल फ्री नंबर १८००-८८९६-८११ उपलब्ध है जो सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक कार्यरत रहता है। राज्य-विशेष समस्याओं के लिए संबंधित राज्य के श्रम विभाग के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। किसी भी प्रकार की तकनीकी समस्या होने पर पोर्टल पर दिए गए ईमेल पते पर शिकायत दर्ज करें।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। श्रमिक कार्ड योजना राज्य श्रम विभागों द्वारा संचालित की जाती है और प्रत्येक राज्य में इसके नियम और लाभ अलग हो सकते हैं। आवेदन करने से पहले अपने राज्य के श्रम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर नवीनतम जानकारी अवश्य प्राप्त करें। यह लेख किसी सरकारी विभाग से संबद्ध नहीं है। योजना से जुड़ी वास्तविक और प्रामाणिक जानकारी के लिए केवल सरकारी स्रोतों पर ही भरोसा करें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से सावधान रहें।








