देश में बेटियों के कल्याण और सशक्तिकरण की दिशा में सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए लाडो प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की है। इस योजना के माध्यम से बालिकाओं को उनके जन्म से लेकर इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण होने तक डेढ़ लाख रुपये तक की वित्तीय मदद प्रदान की जाती है। यह राष्ट्रीय स्तर की योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को नई दिशा देने और समाज में बालिकाओं के प्रति सकारात्मक सोच विकसित करने का प्रयास है। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित यह कार्यक्रम विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
योजना की संरचना और विशेषताएं
लाडो प्रोत्साहन योजना एक व्यापक बालिका कल्याण कार्यक्रम है जिसमें लाभार्थियों को एकमुश्त राशि नहीं बल्कि विभिन्न चरणों में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि बेटी की शिक्षा के हर महत्वपूर्ण पड़ाव पर परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके। जन्म के समय पांच हजार रुपये से शुरुआत करते हुए यह सहायता धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। जब बालिका पहली कक्षा में प्रवेश लेती है तो दस हजार रुपये, छठी कक्षा में पंद्रह हजार रुपये, दसवीं में बीस हजार और बारहवीं कक्षा में पच्चीस हजार रुपये की सहायता दी जाती है। सबसे बड़ी राशि सत्तर हजार रुपये तब मिलती है जब बेटी इक्कीस वर्ष की हो जाती है। इस तरह कुल मिलाकर लगभग डेढ़ लाख रुपये की सहायता प्राप्त होती है।
योजना के उद्देश्य और लाभ
इस योजना को लागू करने का प्राथमिक उद्देश्य देशभर में गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर बेटियों की परवरिश का आर्थिक बोझ कम करना है। कई परिवारों में आज भी बेटियों को बोझ समझा जाता है क्योंकि उनकी शिक्षा और विवाह पर होने वाले खर्च की चिंता रहती है। यह योजना ऐसी सोच को बदलने और समाज में बेटियों के प्रति सम्मान बढ़ाने का काम करती है। जब परिवारों को पता होता है कि सरकार बेटी की पढ़ाई और भविष्य के लिए आर्थिक मदद करेगी तो वे बेटियों के जन्म को लेकर सकारात्मक रुख अपनाते हैं। इस योजना से न केवल बालिकाओं की शिक्षा में सुधार आता है बल्कि उनके स्वास्थ्य और समग्र विकास पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
पात्रता की शर्तें
इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ निर्धारित मानदंड हैं जिन्हें पूरा करना आवश्यक है। सबसे पहली शर्त यह है कि आवेदक भारत के किसी भी राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए। योजना का लाभ केवल उन बालिकाओं को मिलेगा जिनका जन्म अगस्त 2024 के बाद हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है क्योंकि इससे पहले जन्मी बेटियां इस योजना के दायरे में नहीं आएंगी। इसके अलावा बालिका के माता-पिता या अभिभावक सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं होने चाहिए। यह शर्त इसलिए रखी गई है ताकि वास्तव में जरूरतमंद परिवारों को लाभ मिल सके। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के परिवारों को इस योजना में प्राथमिकता दी जाती है।
आवेदन की प्रक्रिया
योजना का लाभ लेने के लिए दो तरीके उपलब्ध हैं – ऑनलाइन और ऑफलाइन। ऑनलाइन आवेदन के लिए संबंधित विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होता है जहां लाडो प्रोत्साहन योजना के सेक्शन में नया पंजीकरण करना होता है। वहां बेटी और अभिभावक की पूरी जानकारी भरनी होती है और जरूरी दस्तावेज अपलोड करने होते हैं। आवेदन जमा करने के बाद रसीद डाउनलोड करके सुरक्षित रख लेनी चाहिए। जो लोग ऑनलाइन प्रक्रिया में सहज नहीं हैं वे नजदीकी महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यालय या सार्वजनिक सेवा केंद्र पर जाकर फॉर्म भर सकते हैं।
आवश्यक दस्तावेज
आवेदन के समय कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज जमा करने होते हैं। इनमें अभिभावक का आधार कार्ड, बेटी का जन्म प्रमाण पत्र, परिवार का आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, बैंक खाते की पासबुक की प्रति और पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ शामिल हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी दस्तावेज वैध और अद्यतन हों।
समाज पर प्रभाव
यह योजना केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज में बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने का एक सशक्त माध्यम है। जब परिवारों को यह एहसास होता है कि सरकार बेटी के भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है तो वे भी अपनी बेटियों में निवेश करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे बालिका शिक्षा दर में सुधार आता है और लड़कियों को बेहतर अवसर मिलते हैं।
अस्वीकरण
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। लाडो प्रोत्साहन योजना से संबंधित नियम, पात्रता मानदंड, लाभ राशि और आवेदन प्रक्रिया राज्य सरकारों और समय के अनुसार परिवर्तित हो सकती है। पाठकों से निवेदन है कि वे आवेदन करने से पूर्व महिला एवं बाल विकास विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या संबंधित कार्यालय से संपर्क करके नवीनतम और सटीक जानकारी अवश्य प्राप्त करें। इस लेख में दी गई जानकारी की पूर्ण सटीकता की गारंटी नहीं है और लेखक या प्रकाशक किसी भी प्रकार की त्रुटि या भ्रम के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। कृपया सरकारी सूचनाओं को ही अंतिम और प्रामाणिक माना जाए।








