केंद्र सरकार ने जब तीन नवंबर को आठवें वेतन आयोग की घोषणा की थी, तभी से देशभर के सरकारी कर्मचारियों में एक नई उम्मीद जागी है। अब इस दिशा में पहला ठोस कदम उठाया जा रहा है। राष्ट्रीय संयुक्त परिषद कर्मचारी पक्ष यानी एनसीजेसीएम स्टाफ साइड ने पंद्रह नवंबर को दिल्ली में अपनी स्थायी समिति की एक विशेष बैठक आयोजित करने का फैसला किया है। यह बैठक इसलिए खास है क्योंकि इसमें वेतन आयोग से जुड़ी कर्मचारियों की प्रमुख मांगों और आगे की रणनीति पर विस्तार से चर्चा होगी।
क्यों है यह बैठक इतनी खास
आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना आने के बाद यह कर्मचारी संगठनों की पहली आधिकारिक रणनीतिक बैठक मानी जा रही है। इस मंच पर तय होगा कि वेतन में बढ़ोतरी, पेंशन व्यवस्था में सुधार, सेवा नियमों में बदलाव और विभिन्न भत्तों से संबंधित मांगों को सरकार के सामने किस तरह रखा जाए। यही वह माध्यम है जहां कर्मचारी अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के जरिए सरकार से सीधा संवाद स्थापित करते हैं। इस बैठक में जो फैसले लिए जाएंगे, वे आने वाले महीनों में सरकार के साथ होने वाली बातचीत की दिशा तय करेंगे।
किन मुद्दों पर होगी चर्चा
हालांकि ऑल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा द्वारा जारी पत्र में बैठक का पूरा एजेंडा स्पष्ट नहीं किया गया है, लेकिन अनुमान है कि कई अहम विषयों पर गहन विचार होगा। वेतन स्तर में संशोधन खासतौर पर फिटमेंट फैक्टर और न्यूनतम वेतन में इजाफा प्रमुख मुद्दा होगा। पेंशन सुधार भी महत्वपूर्ण विषय रहेगा जिसमें पुरानी पेंशन प्रणाली की बहाली और मौजूदा राष्ट्रीय पेंशन व्यवस्था में सुधार की बात होगी। महंगाई भत्ते को मूल वेतन में शामिल करने, ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार जैसे विषय भी चर्चा का हिस्सा बन सकते हैं।
पेंशनभोगियों की चिंताएं
लगभग उनहत्तर लाख पेंशनभोगियों को लेकर गहरी चिंता है कि आठवें वेतन आयोग में उनके हितों का ठीक से ध्यान रखा जाएगा या नहीं। ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लाइज फेडरेशन ने सरकार को भेजे पत्र में संदर्भ की शर्तों में कुछ खामियां बताई हैं। उनका कहना है कि आयोग के लागू होने की तारीख का स्पष्ट उल्लेख नहीं है। साथ ही पारिवारिक पेंशनभोगियों की पेंशन के पुनरीक्षण का कोई साफ प्रावधान नहीं दिखता। पेंशनभोगी चाहते हैं कि उनकी पेंशन में भी मौजूदा कर्मचारियों जैसी ही बढ़ोतरी हो।
प्रमुख मांगों का फोकस
पंद्रह नवंबर की बैठक में कई अहम सवालों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पहला सवाल यह है कि पेंशन पुनरीक्षण को आठवें वेतन आयोग में शामिल किया जाएगा या नहीं। दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न आयोग के लागू होने की तारीख से जुड़ा है क्योंकि इससे बकाया राशि तय होगी। फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी कर्मचारी संगठन दबाव बनाना चाहते हैं ताकि न्यायसंगत फिटमेंट फैक्टर मिल सके। न्यूनतम और अधिकतम वेतन के बीच के अनुपात को भी तर्कसंगत बनाने की मांग होगी।
एनसीजेसीएम की संरचना
राष्ट्रीय संयुक्त परिषद कर्मचारी पक्ष एक त्रिस्तरीय व्यवस्था है जिसमें कर्मचारी पक्ष और विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी होते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर वेतन आयोग जैसे बड़े मुद्दे उठाए जाते हैं। इसके बाद विभागीय और क्षेत्रीय स्तर पर भी विस्तृत चर्चा होती है। स्टाफ साइड में देशभर के बड़े कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं जो अपने क्षेत्र के कर्मचारियों की आवाज सरकार तक पहुंचाते हैं।
संगठनों की तैयारियां
विभिन्न कर्मचारी संगठन बैठक के लिए पूरी तैयारी में जुटे हैं। वे अपने सदस्यों से राय ले रहे हैं और प्राथमिकता वाली मांगों की सूची बना रहे हैं। संगठनों का मानना है कि एकजुट होकर मांगें रखने से सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना बढ़ जाती है। पिछले अनुभवों से सीखते हुए इस बार वे अधिक सुनियोजित तरीके से अपनी बात रखना चाहते हैं।
कर्मचारियों की आशाएं
लाखों केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी आठवें वेतन आयोग से काफी उम्मीदें लगाए हुए हैं। महंगाई के इस दौर में उनकी क्रय शक्ति बनाए रखना जरूरी है। उचित वेतन और पेंशन से न केवल उनका जीवन स्तर सुधरेगा बल्कि वे अपनी जिम्मेदारियां बेहतर ढंग से निभा सकेंगे।
अस्वीकरण: यह लेख केवल जानकारी और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। आठवें वेतन आयोग से जुड़ी किसी भी आधिकारिक जानकारी के लिए कृपया वित्त मंत्रालय या कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट देखें। वेतन आयोग की सिफारिशें, लागू होने की तिथि और नियम सरकारी निर्णयों पर निर्भर करते हैं। लेखक किसी भी प्रकार की त्रुटि या गलत सूचना के लिए जिम्मेदार नहीं है। कृपया सभी जानकारी की पुष्टि आधिकारिक स्रोतों से करें।








